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जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम में संशोधन

अब ब्लॉक सांख्यिकी अधिकारी देंगे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की अनुमति


उदयपुर, 18 मार्च। ग्रामीण इलाकों में अब ब्लॉक सांख्यिकी अधिकारी जन्म और मृत्यु की 30 दिवस बाद और 1 वर्ष के भीतर की घटना के लिए प्रमाण-पत्र बनवाने की अनुमति दे सकेंगे। पहले यह अनुमति खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) की ओर से दी जाती थी। राजस्थान जन्म मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम में संशोधन के बाद यह नई व्यवस्था लागू की गई है। जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1969 (संशोधित 2023) के क्रम में अधिसूचना का राजस्थान राजपत्र में प्रकाशन के बाद विधानसभा के पटल पर रखी गई, जिसमें प्रमुख संशोधन किए गए हैं।
यह किए गए हैं बदलाव
जन्म-मृत्यु अधिनियम में संशोधन लागू होने से प्रमाण पत्र निर्धारित अवधि में जारी होंगे। इससे शत प्रतिशत जन्म-मृत्यु की घटनाओं का पंजीयन होगा और ब्लॉक सांख्यिकी कार्यालयों को मजबूती मिलेगी। वर्तमान में जन्म या मृत्यु की घटना की सूचना देने पर 1 रुपए विलंब शुल्क देय था। नवीनतम संशोधन के तहत अब यदि घटना की सूचना 21 दिवस बाद पर 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार को दी जाती है तो 20 रुपए विलंब शुल्क देय होगा। यदि घटना की सूचना 30 दिन बाद पर 1 वर्ष के भीतर दी जाती है तो 50 रुपए एवं घटना की सूचना 1 वर्ष बाद देने पर 100 रुपए विलंब शुल्क देय होगा। आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग चिकित्सा संस्थानों की ओर से जन्म-मृत्यु पंजीयन में 21 दिन से अधिक विलंब करने पर या सूचना समय पर नहीं देने पर पूर्व में 50 रुपए की पेनल्टी का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर अब 250 रुपए एवं अधिकतम एक हजार रुपए की पेनल्टी का प्रावधान किया गया है। जन्म-मृत्यु के विलम्बित रजिस्ट्रीकरण में नोटरी सत्यापन को समाप्त कर अपील का प्रावधान किया गया है।
पहले जन्म-मृत्यु को लेकर 30 दिवस बाद और 1 वर्ष के भीतर की घटना के लिए विकास अधिकारी प्रमाण-पत्र बनवाने की अनुमति देते थे। अब व्यवस्था में बदलाव के बाद ब्लॉक सांख्यिकी अधिकारी यह काम करेंगे।

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