




छात्राओं को पदेश मे अलग अलग बोर्ड की परीक्षाएं हो रही है।परीक्षा में तनाव कम करने और परीक्षा खण्ड में भयमुक्त होकर परीक्षा देने के गुर मोदी ने पिछले दिनों दिल्ली में सिखाये थे ।परीक्षा के भय से छात्र छात्राएं गलत कदम उठाने के समाचार पत्र पत्रिकाओं की सुर्खियां बटोरते है।भारतीयों में अधिक अंक प्राप्त करने के लिए रट कर याद करने की होड़ लगी रहती है लेकिन यह नकारात्मक प्रथा है।इससे आलोचनात्मक सोच और विश्लेषण की हमारी प्राचीन परंपरा प्रभावित हुई है।एंग्जाइटी के कारण परीक्षार्थी प्रभावित होते है।उस पर नकारात्मक प्रभाव देखा गया है।परीक्षा को आत्मानुशासन के साथ समझने की कुंजी है।भाव और सोच के साथ परीक्षा खण्ड में टेंशन मुक्त होकर परीक्षा देने से नकारात्मक खत्म होती है।वर्तमान दौर में डिजिटल जानकारी शिक्षार्थियों के लिए विकल्प की अधिकता पैदा कर दी है।विद्यार्थियों को पाठ्यक्रमों पर ही निर्भर रहना चाहिए।भटकाव को भी दूर करना होगा।छात्रों के कल्याण के लिए उच्चतम प्राथमिकता देनी चाहिए।अनुभवनात्मक भावना की अवधारणा होनी चाहिए।परीक्षा के लिए पूर्व में रटन प्रथा से दूर रखकर मन की एकाग्रता के साथ परीक्षा के लिए तैयार रहना आज की अति आवश्यक साम्रगी है।