




खैरवाड़ा (धरणेन्द्र जैन)।श्री राम मंदिर खेरवाड़ा के खचाखच भरे हुए सत्संग सभागार राम कथा के चौदहवें दिन गाजियाबाद के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री वीरेंद्र शास्त्री ने बाली वध , राम हनुमान मिलन ,हनुमान जी का लंका गमन, अशोक वाटिका में माता सीता को राम की अंगूठी देना तथा लंका जलाना आदि का मार्मिक वर्णन किया ।
राम कथा के प्रवक्ता जगदीश व्यास के अनुसार भगवान राम और लक्ष्मण पंपापुर में चार माह रहे थे इसलिए वह चातुर्मास कहलाया। जिसकी वाणी मीठी होती है और मन कठोर होता है वह सुग्रीव है आज का क्रोध कल पर डालने से अनर्थ नहीं आता है। मन मेला और तन उजाला जिसका है वह बगुला है।
राम ने सुग्रीव को दिए हुए वचन के अनुसार ताड़ के सात पेड़ों के ओट में बाली का वध किया और लक्ष्मण ने राज तिलक कर सुग्रीव को राजा तथा अंगद को राजकुमार बनाया। राम और लक्ष्मण ने सीता की खोज के लिए सुग्रीव को कहा। सुग्रीव ने प्रयास प्रारंभ कर दिए। जामवंत ने हनुमान जी को कहा कि तुम में अपार शक्ति है उसका उपयोग करो और लंका में जाकर पता लगाओ कि सीता जी कहां पर बैठी हुई है। हनुमान जी पर्वत से छलांग लगाते हैं और उड़ते उड़ते लंका पहुंच जाते हैं वहां लंकिनी को मार कर लंका के अंदर प्रवेश करते हैं। लंका में हनुमान जी अशोक वृक्ष के नीचे बैठी हुई सीता को देखते हैं और राम नाम से अंकित मणि को पेड़ से सीता की गोद में डाल देते हैं सीता को विश्वास हो गया कि अब मेरा पता लगाने के लिए कोई आया है ।सीता ने हनुमान जी को दर्शन दिए और कार्य को सफल हो जाने के लिए आशीर्वाद प्रदान किया। अंत में रमेश कलाल, सुरेश व्यास , शांतिलाल व्यास अशोक कुमार भरत कलाल ,नरेंद्र ,रमेश भास्कर ने चरण धोकर बारी-बारी से सभी भक्तों ने महा आरती कर महाप्रसाद का वितरण किया।