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तरपाल में ईसर गणगौर का विवाह में महिलाओ और युवतियों ने महेंदी रस्म निभाई

गोगुन्दा 2 अप्रैल,कांतिलाल मांडोत! गणगौर उत्सव जो शिव पार्वती के विवाह का प्रतीक है।इसी के अनुरूप गोगुन्दा तहसील के तरपाल गांव में चौरा पर शिव पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर गांव की कुमारिका और महिलाओं ने दो कन्या को शिव और पार्वती के रूप में बिठाकर परिणय सूत्र में बंधन में बांध कर उत्सव मनाया गया।युवतियों और महिलाओं द्वारा गणगौर माता और शिव की प्रतिमाओं का श्रृंगार करके गीत नृत्य और मेहन्दी रस्म कर विवाह करवाया गया।यह सुखी वैवाहिक जीवन की कामना की गई।बीती रात गणगौर और शिव की प्रतिमाओं को सजा कर चौरा स्थिति महादेव मंदिर के परिसर में रखकर विवाह कार्यक्रम में डीजे की धुन के साथ गीत भजन और नृत्य के साथ मंगल गीत गाकर विवाह कार्यक्रम में उत्साहित युवतियों ने कार्यक्रम को चार चांद लगा दिया। उसके पूर्व छोटी बालिकाओं को दूल्हा दुल्हन बनाकर और साथ मे बच्चियों को मर्दाना कपड़े पहनाकर बारात निकाली गई।एक समय ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह नाट्य रूपांतर नही होकर सही में विवाह रचा गया है।उल्लेखनीय है कि यह उत्सव महिलाओं को केंद्र में रखता है।उनकी शक्ति और महत्व का उत्सव मनाता है।गणगौर उत्सव के दौरान लोग खुशी से झूम उठे।यह ऐसा खुशी का पल है जो लोगो को एक साथ लाती है।पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव से विवाह करने के बाद पार्वती अपने मायके मिलने गई।पार्वती की याद में शिव ने भेष बदलकर पार्वती का पीछा किया।लेकिन पार्वती ने शिव को पहचान लिया।उस दौर से पुनर्मिलन की कथा आज भी बरकरार है।इसी खुशी में गणगौर की परंपरा शुरू हुई और आज तक मना रहे है।इस बीच तरपाल की कुमारिका उपस्थित रही।नूतन जोशी तारा कुंवर महिमा कुंवर सीमा प्रजापत चेतना सुथार अनिता कुंवर भाविका सुथार लक्ष्मी सुथार दूर्गा कुंवर सीता कुंवर डिम्पल कुंवर सविता कुंवर  आदि ने विवाह उत्सव में उपस्थित रहकर आयोजन को सफल बनाया। तरपाल के मातेश्वरी नव युवक मंडल ने व्यवस्था कर कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। शिव पार्वती के इस विवाह कार्यक्रम में गांव के सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।

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