




खैरवाड़ा (धरणेन्द्र जैन)।प्रोफेसर डॉ संदीप जोशी के शोध ग्रन्थ दुर्गा सप्तशती के तीन भाषाओं में रचित संस्करण पर चर्चा परिचर्चा में भाग लेते हुए डॉ प्रकाश शर्मा डूंगरपुर ने कहा कि सद ग्रंथों पर कार्य ईश्वरीय कृपा के बिना सम्भव नहीं है। जोशी ने वास्तव में सतत समग्र परिश्रम और पूरे मनोयोग से इस पवित्र पावन ग्रन्थ पर कार्य किया है। हम सभी को अपने घर, परिवार, मन्दिर, विद्यालयों में इस ग्रन्थ को सम्मान के साथ प्रतिष्ठित करना ही चाहिए क्योंकि इस ग्रन्थ में जीवन का सोना, सुख, शान्ति और समृद्धि की तरंगे प्रवाहित होती रहती हैं और प्रतिदिन इसके कुछ ही श्लोक यदि पूरे परिवार के लोग कुछ समय ही साथ में रहकर गा लेते हैं तो आत्मीयता, अन्दर का आत्म विश्वास और नव चेतना का जागरण हो उठता है। शर्मा विद्यानिकेतन खेरवाड़ा विद्यालय वन्दना सत्र में अभिभावक,आचार्य दीदी एवं विद्यार्थियों के साथ इस ग्रन्थ चर्चा में शामिल हुए। ग्रन्थ पूजन उपरांत उन्होंने अपने उद्बोधन मे यह अभिव्यक्ति करते हुए आह्वाहन किया कि यदि हमें जीवन को साफ सुथरा, शान्त और समृद्ध बनाना है तो आज के समय में दुर्गा सप्तशती पाठ का आश्रय लेना चाहिए क्योंकि मां धारित्री धरणी , दयावान है, वह उसकी शरण में आने वाले किसी भी जीव को निराश नहीं करती। आज के समय में शिक्षा, संस्कृति और जीवन में कौशल विकास का अत्यधिक महत्व है। कितनी ही भाषा भूषा हम अपना ले मगर मातृ भाषा और अपनी संस्कृति की भाषा भूषा के बिना हम बिन पानी के सूखे बादलों की तरह है।अत हमें परिश्रम और निष्ठा के साथ अपने जीवन को आगे बढ़ाने का सद प्रयास जारी रखना होगा। इस अवसर पर प्रबंधन समिति श्री विमल कोठारी, प्रधानाचार्य नवनीत श्रीमाली, डूंगरपुर जिला संस्कृत प्रमुख श्री करण सिंह, आचार्या श्रीमती निशा व्यास एवं अन्य सभी बन्धु भगिनी उपस्थित रहे।