Home » धर्म » ज्ञान राम बैरागी सीता और माया लक्ष्मण है : वीरेंद्र शास्त्री

ज्ञान राम बैरागी सीता और माया लक्ष्मण है : वीरेंद्र शास्त्री

खैरवाड़ा : राम कथा में उमड़ा भक्तों का जन सैलाब


खैरवाड़ा (धरणेन्द्र जैन)। श्री राम मंदिर के खचाखच भरे हुए सत्संग सभागार में कथावाचक श्री वीरेंद्र कुमार शास्त्री ने खर दूषण मारीच वध और सीता हरण तथा जटायु मरण का रोचक वर्णन किया । श्री राम कथा के प्रवक्ता महान शिक्षाविद, राष्ट्रपति पदक से सम्मानित जगदीश व्यास के अनुसार राम ज्ञान सीता वैराग्य तथा माया लक्ष्मण है। जो यहां भी कुशल है और वहां भी कुशल है वह अत्रि है। जो किसी की ईर्ष्या नहीं करती है वहां अनुसुया है। मैं और मेरा तू और तेरा संसार की माया है। सतोगुण रजोगुण तमोगुण से मुक्त है वह बैरागी है। त्याग तन की दृष्टि और वैराग्य मन की दृष्टि से होता है। जिसके सूप जैसे नाखून हो वह सुर्पणखा है। अगर आप किसी भी फल की इच्छा करते हो तो फल तो मिल जाता है परंतु परमात्मा दूर चले जाते हैं। राम लक्ष्मण और सीता अनुसूया जी के आश्रम पर जाते हैं वहां पर अनुसूया ने माता जानकी को नारी संबंधी शिक्षा देती है । अनुसूया के आश्रम के पश्चात राम लक्ष्मण जानकी पंचवटी जाते हैं और वहां पर कुटिया बनाकर रहते हैं। सूर्पनखा राम और लक्ष्मण को देखती हैं उनसे विवाह करने की इच्छा रखती है। बार-बार राम और लक्ष्मण के मना करने पर सूर्पनखा नहीं मानी तो उसके लक्ष्मण ने तलवार से नाक कान काट दिए। सूर्पनखा खर दूषण के पास गई। खर दूषण का भी वध राम और लक्ष्मण ने कर दिया। तत्पश्चात वह अपने भाई रावण के पास गई और सारी व्यथा सुनाई। रावण ने सोचा अब मुझे राम के पास जाना चाहिए और किसी भी तरह से जानकी का हरण करना चाहिए। रावण मारीच के पास गया। मारीच सोने का हिरण बना। राम ने हिरण का वध किया। राम जी जैसी आवाज निकालने पर लक्ष्मण भी कुटिया में लक्ष्मण रेखा खींचकर जानकी को छोड़कर राम को मिलने के लिए गए। इतने में रावण वहां आया और सीता का हरण कर गया। जटायु के साथ उसका युद्ध हुआ। अंत में जटायु को घायल अवस्था में छोड़कर पुष्पक विमान में बैठकर लंका की ओर प्रस्थान किया। डॉ अनिल गोयल अवधेश प्रमोद अग्रवाल नारायण लाल टेलर देवचंद रेखा रीना मंजू योगिता कोमल जसु के चरण धोक के पश्चात महाआरती तथा महाप्रसाद का वितरण किया गया।

Leave a Comment

Modi 3.0 के पहले आम बजट से मिडिल क्लास को मिलेगी राहत?