




उदयपुर, (नरेन्द्र त्रिपाठी)! डॉ. गिरिजा व्यास 31 मार्च को उदयपुर के देत्यमगरी स्थित आवास पर गणगौर का पूजन कर रही थीं। दीपक के कारण उनकी चुन्नी में आग लग गई। घर में ही काम करने वाले एक व्यक्ति ने उनको संभाला। उदयपुर में निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया। वहां से उनको अहमदाबाद रेफर किया गया था।
अंतिम संस्कार का समय अब तय किया जाएगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और स्थानीय नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
डॉक्टर गिरिजा व्यास का जन्म 8 जुलाई 1946 को नाथद्वारा में कृष्ण शर्मा और जमुना देवी व्यास के घर हुआ था।
एक भारतीय राजनीतिज्ञ, कवि और लेखिका थी । वे चित्तौड़गढ़ निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय संसद के निचले सदन 15वीं लोकसभा की सदस्य थीं और भारतीय राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष थीं ।
राजनीति का रहा है लंबा अनुभव
पूर्व केन्द्रीय मंत्री, कवयित्री, लिखिका और कांग्रेस नेता डॉ गिरिजा व्यास को राजनीति का लंबा अनुभव है। वह वर्ष 1977 से 1984 तक जिला कांग्रेस कमेटी, उदयपुर की जिलाध्यक्ष बनीं। वर्ष 1985 से 1990 तक राजस्थान विधान सभा सदस्य रही। इस दौरान 1986 से 1990 तक पर्यटन राज्य मंत्री रही। डॉ गिरिजा व्यास राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं तथा वर्ष 1990 से अब तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य है। डॉ व्यास वर्ष 1991 में पहली बार लोकसभा सदस्य बनी इस दौरान वर्ष 1991 से 1993 तक सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री के रूप में काम किया। उदयपुर से लोकसभा सदस्य रहीं व्यास वर्ष 1993 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, वर्ष 1996 में ग्याहरवीं तथा वर्ष 1999 में तेरहवीं लोकसभा की सदस्य निर्वाचित हुई। डॉ. व्यास राष्ट्रीय महिला आयोग की दो कार्यकाल तक राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रही है। आप राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष पद के अलावें लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद एवं बतौर एआईसीसी मीडिया प्रभारी भी रहीं है। फ़िलहाल अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के केंद्रीय चुनाव समिति के साथ-साथ विचार विभाग की चेयरपर्सन एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के मुखपत्र कांग्रेस संदेश पत्रिका की मुख्य सम्पादक है।
दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय और डेलावेयर विश्वविद्यालय में पढ़ाया ।
उन्होंने आठ किताबें लिखी हैं, जिनमें से तीन में उनकी कविताएँ हैं। ‘एहसास के पार’ में उनकी उर्दू कविताएँ हैं, ‘सीप, समुंदर और मोती’ में उनकी हिंदी और उर्दू दोनों कविताएँ हैं, जबकि ‘नॉस्टेल्जिया’ में अंग्रेज़ी छंद हैं।