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मुनी अनुसरण सागर ने ससघ बद्रीनाथ यात्रा हेतु किया विहार

खेरवाड़ा । प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि अनुसरण सागर महाराज ससघ ने सोमवार को अष्टापद बद्रीनाथ यात्रा हेतु विहार किया। दिगंबर जैन समाज के पूर्व उपाध्यक्ष पारस जैन ने बताया कि संघपति दानवीर कुलदीप बाबूलाल जैन जियाजी परिवार के नेतृत्व में आयोजित इस यात्रा में मुनी अनुसरण सागर, मुनि प्रभासागर एवं आर्यिका अनुसार मति माताजी 9 मई को अष्टापद बद्रीनाथ पहुंचेंगे। मुनि संघ बद्रीनाथ में दिगंबर जैन मंदिर में निवास करेगा तथा वहां पर विधान ,महा पूजा आदि के आयोजन किए जाएंगे। विहार के अवसर पर उपस्थित जैन धर्मावलंबियों को संबोधित करते हुए मुनी अनुसरण सागर ने कहा कि जो काया को महकाए वह इत्र है ,जो जीवन को महाकाए वह चरित्र है। चरित्र मूल्यवान चीज है ,इसे गिरने मत दीजिए ।चाय और चरित्र जब भी गिरते हैं, धोने का प्रयास कर लो, फिर भी दाग तो रह ही जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु से इस बात की शिकायत ना करो कि तुम्हें औरों से कम मिला है, बल्कि इस बात के लिए धन्यवाद दो कि उसने तुम्हें तुम्हारी पात्रता से ज्यादा दिया है। जो भगवान का भक्त है वह हर हाल में मस्त है। संत नहीं बन सकते तो संतोषी जरूर बन जाए ,यही सत्संग का महत्व है। इस अवसर पर कुलदीप बाबूलाल जैन, लक्ष्मी देवी जैन सहित बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों उपस्थित थे। फोटो ् अष्टापद यात्रा हेतु विहार करता मुनि संघ।

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