





वागड़ कविताओं पर श्रोताओं ने ख़ूब ठहाकें लगाएं
खेरवाड़ा। धरणेन्द्र जैन !मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत वागड़ के प्रसिद्ध कवियों ने श्रोताओं को वागड़ी कविताओं पर झूमने को मजबूर कर दिया। मौक़ा था श्रीनाथ कॉलोनी बड़ापाल के समस्त कॉलोनी वासियों द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन का। कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि श्रीनाथ कॉलोनी के मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव कमेटी के सभी सदस्य रहे। रातभर हास्य, देश भक्ति व शृंगार की बयार रहीं। श्रीनाथ कॉलोनी बड़ापाल के गणमान्य द्वारा कवियों व अतिथियों का माल्यार्पण एवं ऊपरणा ओढ़ाकर सम्मान किया गया। कविता की हर पंक्ति पर वाहवाह का शोर गूंजा। कवियों ने सियासी तंज कसा तो ख़ूब ठहाके लगे। देश भक्ति की अलख जगायी तो वन्देमातरम् की गूंज रही। कवि सम्मेलन का आगाज़ कवि दिनेश पंछी की मां शारदे की वंदना से हुआ। संयोजक कवि सुनील पटेल सन्नाटा नेजपुर ने “हर एक जन-गण-मन का सहज विधान लिखा, विश्व चकित हुआ बाबा साहब ने ऐसा संविधान लिखा” सुनाकर श्रोताओं की ख़ूब तालियां बटोरी। पटेल ने गिनती नहीं सीखी ना हीं स्कूल जा सकी, दुनिया की हर गणित को मगर जानती थीं मां, पसीना खेत में गिर कर के कह रहा है हमसे, न भूखा सो सके भारत यही सपना किसानों का कविता पढ़कर किसान वर्ग का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही पटेल ने अपनी कविता दौलत तो खूब सारी कमा लेंगे हम मगर मां बाप से बड़ी कोई दौलत नहीं होती सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जरूरी हैं कि पूरे विश्व में अखंड भारत हों, हमी में से कोई एक दिन जरूर सरदार निकलेगा कविता सुनाकर सरदार पटेल की नेतृत्व क्षमता बताई एवं हर एक जन गण के मन में क्रांति का सैलाब आया था, कविता थी तो पूरे देश में इंकलाब आया था सुनाकर दाद बटोरी। कवि सुनील ने श्रंगार रस की कविता पढ़ते हुए तुम्हारे लब हीं बोले दिल गवाही क्यूं नहीं देता, तुम्हें मेरे सिवा कुछ भी दिखाई क्यूं नहीं देता से माहौल श्रृंगारमय कर दिया। हास्य कवि गोपाल सेवक ने नारी का हम सम्मान करते हैं मान करते हैं, नारी में नारायण निवास करते हैं जैसी नारी सशक्तिकरण पर अपनी प्रतिनिधि रचना सुनाई। प्रसिद्ध कवि छत्रपाल शिवाजी ने अभी समय है जागो प्यारे, सेवारथ में मत भागो प्यारे। कुदरत को जो किया किनारे, समझो अपना जीवन हारे। बिन पानी जग सुन्न हुआ, बिना हवा सब छू मंतर। ज्वाल काल की धधक उठी,सिसक रहे धरती अम्बर। पंचतत्व जो हुए प्रदुषित,सांसों का सूरज ढलता है। पेड़ों से योवन खिलता है,पेड़ों में जीवन पलता है रचना पढ़ी। ऊर्जावान कवि भरत कुमार मीणा ने रूप की रानी नहीं है कविता मेरी एक साधारण सी नारी है कविता मेरी। गीत श्रृंगार के गाए कैसे प्यासी आंखों का पानी है कविता मेरी रचना सुनाई।
सुरेश सरगम ने पुत्र मोह को छोड़ पन्ना राष्ट्र प्रेम दिखलाती है। अरे यहां तो प्रेम मीरा के गीत और राधा के मीत है। वो मर्यादा पुरूषोतम श्री राम को देखो शबरी के झूठे बेरो में प्रेम उन्हें दिख जाता है। लेकर श्रवण कुमार का नाम हर बच्चा बच्चा अपने मात पिता के चरणों में झुक जाता है। कविता के माध्यम से प्रेम की पवित्रता को परिभाषित करते हुए राष्ट्र प्रेम को सर्वोपरि बताया। सागवाड़ा के दिनेश पंछी ने वागड़ी गीत “कोय वेवण वताडो”, घर आवया पामणा बाउ बनावो रे सुना कर श्रोताओं का ध्यान वागड़ी कविताओं की ओर खींचा। साथ ही लेकर जाएंगे प्यार जो आप सबने दिया रचना भी सुनाई। प्रतापगढ़ के कवि विजय सिंह विद्रोही ने अपनी प्रतिनिधि रचना मेवाड़ी माटी हल्दीघाटी सी पावन पवित्र स्वाभिमान की अमिट छाप छाप दीजिए। छाप पे छपी स्मृतियां वीरों के रक्त से सनी शिलाएं मातृभूमि का ताप छाप दीजिए। ताप से तपते चेतक महान के पद चिन्हों की रंगोलिया मंत्र जाप छाप दीजिए। जाप राष्ट्र गान के,प्रतीक है जो त्याग के एकलिंग दीवान प्रताप छाप दीजिए कविता सुनाई। कार्यक्रम का सफल संचालन संयोजक कवि सुनील पटेल सन्नाटा नेजपुर ने किया।
श्रीनाथ कॉलोनी बड़ापाल के मंडल के सदस्यों ने कहा कि ने कहा कि साहित्य हमारे देश का गौरव है। देश की आजादी में कवियों का योगदान भी रहा है। हर भारतीय को सनातनी होने पर गर्व है। देश का मजबूत नेतृत्व विश्व पटल पर भारत की अमिट छवि को रेखांकित करेगा। संगठन की ही विजय होती है। जीवन में समाज हित व राष्ट्रहित की भावना को लेकर हमें कार्य करना होगा। आभार दिनेश ने जताया। कवि सम्मेलन में कॉलोनी समेत आसपास के कई गांवों के सैकड़ों काव्य रसिक श्रोताओं की उपस्थिति रही।
कवि भरत कुमार मीणा का किया सम्मान
श्रीनाथ कॉलोनी बड़ापाल के कवि सम्मेलन के दौरान मंचासीन कवियों ने ऊर्जावान युवा कवि भरत कुमार मीणा का स्वागत किया। कवियों ने मीणा को पगड़ी, शॉल व उपरणा ओढ़ाकर सम्मान किया। कवि सुनील पटेल सन्नाटा ने कहा कि भरत कुमार मीणा को उनके साहित्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।