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विश्व कला दिवस के अवसर पर खेरोदा में शैक्षिक कला कार्यशाला का आयोजन

सिटी ऑफ बर्डस और उमंग हब ने किया पक्षियों और आवास का कलात्मक चित्रण

भींडर (कन्हैयालाल मेनारिया बासड़ा)!महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय खेरोदा में विश्व कला दिवस के अवसर पर गुरुवार को ‘पक्षी और आवास कला कार्यशाला’ का आयोजन किया गया । सिटी ऑफ बर्डस समूह की स्वधा परदेसी और उमंग हब के शोएब ताज ने खेरोदा विद्यालय में आयोजित कार्यशाला में कक्षा 6 से 11 के चयनित 25 विद्यार्थियों के समूह को पक्षियों के विभिन्न आवास स्थलों, उनके भोजन संबंधित व्यवहारों और उन्हें आधुनिक कला के माध्यम से व्यक्त करने के हुनर को निखारने का प्रयास किया । प्रथम सत्र में वरिष्ठ अध्यापक नवीन भट्ट और कंप्यूटर शिक्षक रोहित मेनारिया ने आगंतुक पक्षी कला विशेषज्ञों का स्वागत अभिनंदन एवं विद्यार्थियों से परिचय किया । द्वितीय सत्र में स्वधा परदेसी ने जलीय,थलीय पक्षियों के आवास स्थल वेटलैंड, ग्रासलैंड, स्क्रब लैंड और इनमें पाए जाने वाले पक्षियों को ड्राइंग के माध्यम से दर्शाकर बताया ।उल्लेखनीय है कि उदयपुर पक्षी महोत्सव में एक सौभाग्यपूर्ण मुलाकात के बाद पक्षीविद, वन्यजीव संरक्षणवादी और अंग्रेजी स्कूल में व्याख्याता दर्शन मेनारिया ने स्वधा परदेसी और शोएब ताज से संपर्क किया, ताकि वे खेरोदा सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के साथ पक्षियों पर एक मजेदार और शैक्षिक कला कार्यशाला कर सकें।
शोएब और हकीम हुसैन द्वारा सह-स्थापित उमंग हब एक ऐसा समूह है जो आम जनता को उनके व्यस्त जीवन में ड्राइंग के आनंद से फिर से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है। वे उदयपुर में विभिन्न प्रकार की कला कार्यशालाएँ आयोजित करते हैं। स्वधा, शोएब, सोमिल डागा और पारुल डागा द्वारा शुरू किया गया सिटी ऑफ़ बर्ड्स कलेक्टिव नियमित रूप से उदयपुर के शहरी जंगल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आम जनता के साथ पक्षी और प्रकृति की सैर का आयोजन करता है।
उमंग हब और सिटी ऑफ़ बर्ड्स कलेक्टिव ने खेरोदा सरकारी स्कूल में इस तरह की अनूठी ‘पक्षी और आवास कला कार्यशाला’ आयोजित करने के लिए सहयोग किया।
द्वितीय सत्र में उन्होंने छात्रों को इस बात पर चर्चा में शामिल किया कि वे किन पक्षियों को जानते हैं और अपने आस-पास क्या-क्या देखा है। स्वधा परदेसी ने चर्चा की कि विभिन्न पक्षियों को अलग-अलग आवासों में कैसे देखा जाता है।उन्होंने आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक महत्व पर जोर दिया कि कैसे ये पड़ोसी शहरों और गांवों को जलवायु सामर्थ्य प्रदान करते हैं । उन्होंने बच्चों को बताया कि कैसे आधुनिक मेगा शहर अपने आर्द्रभूमि पर अतिक्रमण के कारण बाढ़ से पीड़ित हैं और इसलिए हमें अपनी आर्द्रभूमि की रक्षा करनी चाहिए।
तत्पश्चात स्थानीय विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ एक प्रकृति शिक्षा खेल खेला, उन्हें 5 टीमों में विभाजित किया। बच्चों ने सबसे तेजी से सवालों के जवाब देकर प्रतियोगिता का भरपूर आनंद लिया। शैक्षिक खेल में स्वधा परदेसी और शोएब ताज ने फ्लैशकार्ड्स के माध्यम से पक्षियों के नाम,आवास स्थल, भोजन की आदतों और अन्य जानकारियां मजेदार तरीके से सिखाई ।
अंत में 20 मिनिट कला कैनवास सत्र में छात्रों को अपने नए सीखे गए ज्ञान के साथ अपनी पसंद के पक्षियों और आवासों को चित्रित करने और रंगने के लिए शीट और मिश्रित मीडिया जैसे स्केच पेन और रंगीन पेंसिल दिए गए। विद्यार्थियों ने सुंदर रंग संयोजन के साथ पक्षियों को उनके आवास में चित्रित किया ।
व्याख्याता दर्शन मेनारिया ने बताया कि शहरीकरण के कारण किस तरह आर्द्रभूमियों का ह्रास हो रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित आर्द्रभूमियों को बचाने के लिए समय रहते स्कूली विद्यार्थियों को इनकी जानकारी देना और इनसे जुड़ाव पैदा करना जरूरी है । ताकि संरक्षण की भावना विकसित हो सकें । कला कार्यशाला के तीनों सत्रों में विद्यार्थियों ने उत्साह से भाग लिया । उप प्रधानाचार्य रीता त्रिवेदी ने आभार जताया । इस दौरान नवीन भट्ट, रोहित मेनारिया, प्रीति बिरावत, मंजू व्यास, कपिल पाटीदार, रविन्द्र सिंह राणावत मौजूद रहे । वरिष्ठ अध्यापक नवीन भट्ट एवं कंप्यूटर शिक्षक रोहित मेनारिया ने कलाकारों का स्वागत किया ।

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