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डिविजनल बैंच के निर्णय से डॉ.बामनिया ने पुनः संभाली उदयपुर चिकित्सा विभाग की कमान

बामनिया को पूर्ववत उदयपुर सीएमएचओ के रूप में कार्य करने के दिए आदेश

सीएमएचओ उदयपुर का पद पिछले 3 माह से अधिक समय से रिक्त था

एक साल के भीतर डॉ बामनिया का यह दूसरा तबादला था

खेरवाडा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शंकरलाल बामनिया ने डिवीजनल बैंच के निर्णय की अनुपालना में शुक्रवार को उदयपुर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की कमान पुन: संभाल ली है। हाईकोर्ट खंड पीठ जोधपुर ने डॉ बामनिया की अपील को स्वीकार करते हुए पूर्ववत उदयपुर सीएमएचओ के रूप में कार्य करने के दिए आदेश दिए थे।
प्रकरणानुसार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनवरी में किए गए ट्रांसफर आदेशों में उदयपुर सीएमएचओ डॉ.शंकर एच बामनिया का ट्रांसफर जिला अस्पताल प्रतापगढ़ में उप नियंत्रक पर कर डिमोशन किया गया था, विभाग के इस आदेश के विरुद्ध डॉ बमानिया ने हाई कोर्ट जोधपुर के एकल पीठ रिट दायर की थी। एकल पीठ ने एएजी के 2008 के पुराने अमेंडमेंट रूल के एफिडेविट के आधार पर अपील खारिज कर दी जबकि डॉ बामनिया ने अपने अधिवक्ता के ज़रिए दलील दी थी कि 2008 के रूल का 2012 में अमेंडमेंट हो गया जिन्हें एकल पीठ ने खंड पीठ में चैलेंज करने का साथ अपील खारिज कर दी थी। एकल पीठ के निर्णय के विरुद्ध डॉ बामनिया ने अपने अधिवक्ता बी एस संधु जरिये विशेष अपील याचिका मुख्य न्यायाधीश के खंड पीठ जोधपुर में दायर की।

झूठी और मनगढंत शिकायतों पर हुआ था ट्रांसफर

खंड पीठ में तीन दिन तक लगातार सुनवाई हुई जिसने पहले दिन वकीलों के हड़ताल की वजह से डॉ बामनिया ने अपनी पैरवी ख़ुद करते हुए खंडपीठ को बताया कि इनका ट्रांसफर जनहित या प्रशासनिक कारणों न होकर विभिन्न झूठी शिकायतों के मध्य नजर दंडात्मक रूप में उप नियंत्रक के पद पर कर डिमोशन किया जो नए संशोधित कैडर रूल (डी ए सी पी) 2012 में लागू नहीं है तथा सभी शिकायतकर्ता उनके नियंत्रण में काम करने ऐसे तीन चिकित्सक डॉ आशुतोष सिंघल,डॉ निधि यादव,डॉ मुकेश अटल जो हमेशा राज्यादेश की अवहेलना, राजकार्य रुचि न लेना और सुपरवाइज़री नेग्लिजेंस रखने कारण नोटिसेस के जवाब असंतुष्ट होने पर इनके विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तावित किए गए थे और एक शिकायत कर्ता डॉ अशोक आदित्य सीएमएचओ के पद पर आने की लालचा से अन्य तीन शिकायतकर्ता के साथ हम सलाह कर डॉ बामनिया के विरुद्ध झूठी शिकायत की गई । यहां तक की शिकायतकर्ता ने केवियट भी लगाई। यह सभी शिकायतें झूठी और मनगढंत पाई गई। डॉ बामनिया के अधिवक्ता बी एस संधु के ज़रिए खंड पीठ को दलील दी कि सभी शिकायतों के संबंध में संयुक्त निदेशक उदयपुर द्वारा गठित जाँच कमेटी में झूठी,मिथ्या और मनगढ़ंत पायी जो निदेशालय भिजवाई जा चुकी थी, एक जाँच विचाराधीन है जिसका नोटिस का अभिकथन प्रस्तुत कर दिया गया है। अत: कोई जाँच पेंडिंग नहीं है।

खंडपीठ ने इस तरह दी बामनिया को राहत

इस संबंध में खंड पीठ अपील द्वारा अधिवक्ता की अपील को स्वीकार करते हुए 2008 के रूल के एफिडेविट को रद्द करते हुए एएजी को सख़्त निर्देश देते हुए केस के ऑफिस इंचार्ज डॉ बी एल स्वर्णकार ने झूठी एफिडेविट पर लिखित में माफी मांगी गई। खंड पीठ ने फैसले को सुरक्षित रखते हुए दिनांक 9 अप्रैल 2025 को रिजर्व फैसले को प्रोनाउंसमेट करते हुए एकल पीठ के फैसले को किया और खंड पीठ के फैसले में डॉ बामनिया को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उदयपुर के पद पर पूर्वानुसार यथावत रखने हुए निरंतर कार्य करने के आदेश जारी किया। डॉ बामनिया ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश के खंड पीठ के आदेश की पालना में सीएमएचओ उदयपुर के पद पर जॉइनिंग देते हुए विधिवत कार्यभार संभाल लिया है।

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