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सरकारी स्कूलों में 25 वर्षों से सेवा दे रहे एक लाख कुक महिलाओं की पीड़ा



महिला सशक्तिकरण के सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है 

मात्र 71 रूपये प्रतिदिन देकर स्कूलों में कुक महिलाओं का शोषण

धरणेन्द्र जैन
खैरवाड़ा । सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के बड़े-बड़े दावे कर रही है पर सरकारी विद्यालय में 25 साल से सेवा दे रही करीब 1 लाख कुक महिलाओं की पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है। कुक को आज भी सरकार 71 रुपए दैनिक वेतन देकर वेट बेगार करा रही है। यह विचार जनवादी मजदूरी यूनियन के सचिव जयंतीलाल ने कुक कम हेल्पर संघर्ष समिति नयागांव की चित्तौडा में आयोजित सभा में व्यक्त किए।
सभा में समस्त कुक ने बताया कि विद्यालयों में गैस की व्यवस्था होने के बावजूद कुक को लकड़ी पर पोषाहार पकाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। अभी सात माह का दूध गर्म करने का बजट विद्यालयों को जारी करने के बावजूद कुक को अब तक 3500 रुपए का भुगतान नहीं किया गया है।
सभा में समस्त कुक ने 5 महीने से नाममात्र का वेतन भी नहीं देने, लकड़ी पर पोषाहार पकाने के लिए बाध्य करने, नियमानुसार कुक नहीं लगाने, दूध गर्म करने का मेहताना नहीं देने पर आक्रोश व्यक्त किया।
सभा में पालियां से रसिता बाई ने बताया कि दूध गर्म करने का मेहनताना आज तक एक बार भी नहीं मिला है। कलासुआ फला की सविता बाई ने बताया कि 60 बच्चे होने के बावजूद भी एक कुक को लगाया है। खेड़ा घाटी की सुशीला बाई ने बताया कि उन्हें दूध गर्म करने का अब तक केवल 1000 रुपया ही मिला है वहीं तीन कुक का नाम चल रहा है लेकिन दो कुक से ही काम कराया जाता है । काकरीवाट से मंजुला बाई और कजरीफला  से ममता बाई ने बताया कि स्कूल में पानी की व्यवस्था नहीं है उन्हें सिर पर दूर से पानी लाकर पोषाहार पकाना पड़ता है। सूरजपुरा में रसोई नहीं है तथा दूध गर्म करने का मेहनत आना आज तक केवल एक बार 500 रुपया ही मिला है गणेशपुर से कांताबाई ने बताया कि उन्हें दूध गर्म करने का मेहनत आना अब तक केवल 1500 रुपया  मिला है , वही जसोदा भाई ने बताया कि उन्हें दूध गर्म करने का मेहनताना 1000 रुपया कम दिया है । वही हिना ने बताया कि साढे 350 बच्चों का खाना केवल तीन कुक को बनाना मजबूरी है।
सभा में संयुक्त कमेटी के सलाहकार नाना भगत ने शीतकालीन अवकाश में जिला मुख्यालय पर धरना अथवा प्रदर्शन का सुझाव दिया।

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