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अगर आप डिजिटली गिरफ्तार हो गए हैं तो ऐसे बच सकते हैं, पढ़ें साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के बेहतरीन टिप्स

Digital Arrest

– फोटो : Amar Ujala

विस्तार

साइबर क्राइम की दुनिया में ‘डिजिटल अरेस्ट’ ने अनेक लोगों को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान पहुंचाया है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश कुमार ने बताया था कि डिजिटल अरेस्ट के चलते लोगों को इस वर्ष जनवरी से अप्रैल के बीच लगभग 120 करोड़ रुपये की चपत लगी थी। व्यापारिक घोटालों की बात करें तो इस अवधि के दौरान लोगों ने 1,420.48 करोड़ रुपये गंवा दिए। निवेश घोटालों में 222.58 करोड़ रुपये और रोमांस/डेटिंग घोटालों में 13.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

प्रधानमंत्री मोदी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट को लेकर लोगों को सचेत कर चुके हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ क्या है, इससे बचाव कैसे करें। अगर आप गलती से डिजिटल अरेस्ट हो गए हैं तो भी बच सकते हैं। देश के जाने माने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रक्षित टंडन ने डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए रामबाण टिप्स दिए हैं। उनका कहना है कि बस आपको कुछ सावधानियां बरतनी हैं। अमर उजाला डॉट कॉम ने डॉ. रक्षित टंडन से डिजिटल अरेस्ट पर खास बातचीत की है।

बता दें कि डॉ. टंडन ने साइबर सुरक्षा के लिए देश में एक बड़े प्लेटफार्म पर काम किया है। 2008 से लेकर अब तक उन्होंने विभिन्न स्कूल-कालेजों के 70 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को जागरूक किया है। इसके अलावा भारतीय सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बल, जांच एजेंसियां और विभिन्न राज्यों के पुलिस संगठनों में अनेक सम्मेलन और वर्कशॉप आयोजित की हैं। डॉ. रक्षित टंडन, कई राज्यों में बतौर साइबर सुरक्षा सलाहकार भी काम कर रहे हैं। वे केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में भी साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

 

 

डॉ. रक्षित का कहना है, यह एक ऐसा साइबर अपराध है, जिसमें अपराधी आपको कॉल करता है। आपसे कहता है कि आपके नाम का कूरियर है। उसके पास आपकी निजी जानकारी पहले से ही होती है। आधार कार्ड का नंबर होता है। एड्रेस होता है। यह जानकारी, कई माध्यम से चुराई जा सकती है। इसी डिटेल के हवाले से वह कहता है कि आपके नाम के पैकेट में कुछ गलत चीजें पाई गई हैं। अब आपको साइबर पुलिस से कनेक्ट कर रहे हैं। तभी एक वीडियो कॉल आ जाती है। सरकारी नकली दस्तावेज आपको भेज दिए जाते हैं। उसके बाद वीडियो कॉल पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए ऐसा माहौल दिखाया जाता है कि सामने एक अधिकारी बैठा होता है। उसके पीछे पुलिस या जांच एजेंसी का ‘लोगो’ होता है। वह आपके कहता है, हो सकता है कि आप ईमानदार व्यक्ति हों, लेकिन हम आपके दस्तावेज जांचना चाहते हैं।

 

 

उसके बाद कहा जाता है कि हम आपके खाते देखना चाहते हैं। आप घर में किसी से बात नहीं करेंगे। हमारी कॉल को काटेंगे नहीं। इस तरह के डर का माहौल दिखाकर साइबर अपराधी, एक बड़ी लूट को अंजाम दे देते हैं। पिछले दिनों, पंजाब में वर्धमान कंपनी के 79 वर्षीय मालिक ओसवाल के 7 करोड़ रुपये निकाल लिए। ऐसे कई मामले रोजाना आ रहे हैं। नोएडा में पिछले दिनों एक रिटायर्ड कर्नल को पांच दिन तक डिजिटली अरेस्ट रखा गया है। उन्हें करीब दो करोड़ रुपये की चपत लगा दी। आजकल आटोमेटेड कॉल भेजने लगे हैं। ये लोग ट्राई का नाम ले रहे हैं कि आपका नंबर गलत अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है। कृप्या एक दबाएं, नौ दबाएं।

बतौर डॉ. टंडन, ये सब स्कैम हैं। भारत सरकार और पुलिस का ऐसा कोई विभाग नहीं है, जो आपको डिजिटली अरेस्ट करता हो। अगर आपने वाकई कोई गलती है तो पुलिस सीधे आपके घर आती है। पुलिस, डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई बात नहीं कहती।

पिछले दिनों कई सारे ऐसे कॉल भी रहे हैं, जिसमें सामने वाले व्यक्ति से कहा जाता है कि आप रेपिस्ट हो, आतंकी हो या आपके पास हवाला का पैसा है। इस बाबत डॉ. टंडन बताते हैं, ये तरीका भी अपनाया जा रहा है। ऐसे कॉल नकली नंबरों से आते हैं। वर्चुअल नंबर से ऐसी कॉल आती हैं। कई कॉल ऐसी होती हैं, जिसमें नंबर 92 की सीरिज से शुरु होता है। यह सीरिज तो पाकिस्तान की है। कॉल में जो तस्वीर दिखती है वह भारतीय पुलिस अधिकारी की होती है।

एआई के क्लोनिंग सॉफ्टवेयर से ऐसा माहौल बनाया जाता है। कहते हैं कि ये आपका बेटा है। इसे हमने पकड़ा है। पापा बचा लो, पापा बचा लो, की आवाज आती है। सामने वाला व्यक्ति घबरा जाता है। यहां पर आपको सावधानी बरतनी है। यह देखें कि कॉल किस नंबर से आया है। नंबर पर केवल पुलिस अधिकारी की तस्वीर लगी है। इसे चेक करें। अगर आपके बच्चे ने वाकई अपराध किया है तो पुलिस अपने नंबर से कॉल करेगी। ऐसे किसी नंबर से कॉल नहीं करेगी। आप तुरंत अपने बच्चे के संस्थान में पता करें कि वह बिल्कुल सही सलामत है। स्कूल या कालेज में उसके साथ कोई घटना नहीं हुई है।

पीएम मोदी ने पिछले दिनों ‘मन की बात’ कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट को लेकर सचेत किया था। उन्होंने कहा था, ‘रूको, सोचा और एक्शन लो’। इस बाबत डॉ. टंडन ने कहा, बतौर साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ मैं प्रारंभ से ही एक बात कहता रहा हूं। ‘स्टॉप, थिंक एंड पोस्ट’ और ‘स्टॉप, थिंक एंड कनेक्ट’। कॉल आते ही एक दम उतावले न हों। समझ से काम लें। लिंक आया और आपने क्लिक कर दिया। लिंक पर क्लिक किया तो फोन हैक हो गया। आपने गलत नंबर डायल किया तो कॉल डायवर्ट हो गई, आपका व्हाट्सएप हैक हो गया। एपीके फाइल इस्टॉल कर दी तो सारे एसएमएस उड़ गए। पता चला कि यूपीआई और बैंक खाते खाली हो गए। मौजूदा समय में साइबर सतर्कता होना बहुत जरुरी है। भारत सरकार का ‘साइबर दोस्त’, सभी तरह के सोशल मीडिया पर एक्टिव है। उसे ज्वाइन करें और रोजाना देखें। इससे आपको पता चलेगा कि किस तरह के साइबर अपराध हो रहे हैं।

वहां पर बहुत सामान्य भाषा में लोगों को जागरूक किया जाता है। अगर घटना घट गई है तो 1930 पर कॉल करें। घर बैठे ही भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर रिपोर्ट करें। अगर यह करते हैं तो नुक़सान की संभावना कम हो जाती है।

कई बार व्यक्ति से यह गलती हो जाती है कि उसने संदिग्ध लिंक पर क्लिक कर दिया है तो वह डिजिटल अरेस्ट या उससे होने वाले नुकसान से कैसे बच सकता है, इस बाबत डॉ. टंडन ने बताया, इस स्थिति में भी व्यक्ति बच सकता है। बशर्ते उसे कुछ काम करने होंगे। सबसे पहले अपने फोन को फैक्ट्री रिसेट करें। बैंक को तुरंत सूचित करें। पासवर्ड और पिन बदल लें। खातों को डेबिट फ्रीज कराएं। आप सुरक्षित हो जाएंगे। ओटीपी/पिनकोड साझा न करें। किसी के कहने पर कोई गलत एप अपने फोन में न डालें। यह समझ लें कि आपका फोन एक डिजिटल बटुआ यानी वॉलेट है। जैसे आप अपने बटुए में किसी को ताक झांक नहीं करने देते, वैसे ही अपने फोन को सुरक्षित रखें। आपको ध्यान रखना है कि कौन सा एप डाउनलोड कर रहे हो, कौन सी जानकारी मांगी जा रही है, वहां लिखी अंग्रेजी का क्या मतलब है। इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है।

डॉ. टंडन ने बताया, डिजिटल अरेस्ट जैसी घटना नहीं हो, इसके लिए कई बातों का ध्यान रखें। पहला, किसी अनजान लिंक को क्लिक नहीं करेंगे। किसी के द्वारा भेजी गई एपीके फाइल को इंस्टाल नहीं करेंगे। सभी खाते, यानी जीमेल व सोशल मीडिया, इन सभी के लिए टू वे वेरिफिकेशन फीचर ऑन रखेंगे। व्हाट्सएप पर एक सुविधा होती है कि पांच सेकंड में अज्ञात नंबर को साइलेंट कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करें। अगर किसी अज्ञात नंबर से गलत कॉल आता है तो संचार साथी की वेबसाइट पर ‘चक्षु’ पर क्लिक करें। वहां रिपोर्ट होने के बाद फर्जी नंबर ब्लॉक हो जाएंगे। वे आगे अपराध नहीं कर सकेंगे।

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